अरुणाचलम मंदिर: आध्यात्मिकता और इतिहास का संगम,Arunachalam Temple: A confluence of spirituality and history...

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अरुणाचलम मंदिर: आध्यात्मिकता और इतिहास का संगम,Arunachalam Temple: A confluence of spirituality and history...

arunachalam temple history

परिचय
भारत के खूबसूरत राज्य तमिलनाडु में वसा यह प्राचीन मंदिर हिन्दू संस्कृति एवं वास्तुकला की एक अनूठी मिसाल है। यहा की प्राकृतिक सुंदरता भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है। भगवान शिव को समर्पित इस महान कीर्ति को जो मंदिर के रूप में आपके सामने साक्षात उपस्थित है। जिसके बारे में हम आपके समक्ष कुछ महत्वपूर्ण एवं अद्भुत जानकारी साझा करना चाहते है। अगर आपको इस महान मंदिर की कलाकृति को आत्मसात करना है तो हिन्दुस्तान के ह्रदय कहे जाने वाले मंदिर का भ्रमण जरूर करे। 

मंदिर का इतिहास


अरुणाचलमं मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है, सनातनी पौराणिक कथाओ में इस मंदिर का बहुत महत्व है तथा यहा देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आकर इस अद्भुत मंदिर के दर्शन करते है। आइए इस अद्भुत मंदिर के बारे में जाने। 

Arunachalam Temple: A confluence of spirituality and history...



मंदिर की उत्पत्ति

  • मदिर लगभग 7 वी शताब्दी के लगभग बनाया गया था जिसका विवरण तमिल साहित्य एवं धर्मग्रंथों में मिलता है।
  • साहित्यिक कृति के अनुसरण से मामूल होता है 9वी शताब्दी में चोल वंश द्वारा इसका पुन निर्माण एवं मरम्मत कराई गई थी तथा बाद के शासकों द्वारा इसका विस्तार किया गया था।

Arunachalam Temple

मंदिर निर्माता

  • चोल वंश: चोल वंश मंदिर के पहले निर्माता थे तथा इन्ही के द्वारा नीव रखी गई थी तथा प्रारभिक सरंचना का निर्माण कराया गया था।
  • पल्लव वंश: मंदिर के विस्तार एवं वास्तुशिल्प निर्माण में पल्लवों का बहुत बड़ा योगदान था।
  • विजयनगर साम्राज्य: विजयनगर साम्राज्य के शासनकाल में मंदिर परिसर में और अधिक विकास हुआ तथा कलात्मक सरचनाओ का निर्माण बहुत ही कुशल कारीगरों द्वारा किया गया था। जो आज भी अद्भुत है। 

Arunachalam Temple

मंदिर की वास्तुकला


  • ऊंचे गोपुरम: मंदिर परिसर में अद्भुत गोपुरमो का निर्माण किया गया था। जो प्राचीन वास्तुकला की अनूठी मिशाल है। गोपुरमों में जिस तरह से जटिल नक्कासी और मूर्तियों को प्रदर्शित किया गया है। वह बहुत ही अद्भुत और अलौकिक है
  • जटिल मूर्तियाँ: मंदिर परिसर हिन्दू पौराणिक आकृतियों और चित्रों को बहुत ही विस्तृत रूप से दर्शाया गया है जो प्राचीन कलात्मक शक्ति को प्रदर्शित करती है।

Arunachalam Temple

आध्यात्मिक रुप से महत्व


अरुणाचलेश्वर रुप से भगवान शिव को अवतारित माना गया है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहा भगवान शिव अग्नि के रूप में प्रकट हुए थे

Arunachalam Temple

भवन शिव को अग्नि के रुप मे प्रकट होने की कथा


ऐसा माना जाता है कि जब ब्रह्माजी और विष्णु जी में इस बात की वहस छिड़ गई थी कि हम में से महान कौन है। तो भगवान शिव समझौता कराने के लिए अग्नि के रुप में प्रकट हुए थे। तथा दोनों ही श्रेष्ठ है यह समझौता किया था। 
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मंदिर कहा स्थित है आईए जानते है?


अरुणाचलम मंदिर भारत के राज्य तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में स्थित है। तिरुवन्नामलाई तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से लगभग 85 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यह मंदिर अरुणाचला पहाड़ी के तल पर स्थित है।

मंदिर के आस-पास घूमने लायक जगह


अरुणचला पहाड़ी


अरुणाचला पहाड़ी को अन्नामलाई पहाड़ी भी कहा है। अन्नामलाई को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। यह पहाड़ी मनमोहक दृश्य और शांत वातावरण के लिए जानी जाती है। अगर आप मन को शांत करना चाहते है तो यह पहाड़ियाँ आपको वरदान साबित होगी। पहाड़ी के चारों तरफ का क्षेत्र अरुणाचलम मंदिर गिरी प्रदक्षिणा के नाम से जाना जाता है।

शेषाद्रि स्वामिगल आश्रम


शेषाद्रि स्वामिगल आश्रम यह आश्रम महान संत शेषाद्रि स्वामिगल को समर्पित है। यहा माहौल इतना शांत है कि मन करता है की पूरा जीवन यही व्यतीत कर दूं। आप भी यहा आ सकते है तथा यहा की प्राकृतिक सुंदरता को देख ईश्वर के समीप होने का अहसास महसूस कर सकते है।

विरुपाक्ष गुफा


विरुपाक्ष गुफा में आने पर आपको महसूस होगा कि ऊंची-ऊंची इमारतों से निकलकर साक्षात स्वर्ग में आ गये है। यहाँ के प्रसिद्ध ऋषि रमण ने यहाँ कुछ समय बिताया था। कुछ समय तक यहाँ निवास किया था। तथा ध्यान और आत्मनिरीक्षण से अहसास होगा की जो समय ऋषि रमण ने यहा बिताया वह कितना अतुलनीय रहा होगा। 

श्रीरामानाश्रम्


ऋषि रमण की आध्यात्मिक शिक्षा से जुड़ा यह स्थल अद्भुत है। आश्रम में शांति, आध्यात्मिक प्रवचन और उनकी समाधि पर ध्यान करने से मन की सारी विषम चिंताओ से मुक्ति प्राप्त कर सकते है।

स्कन्दश्राम गुफा 


स्कन्दश्राम यह एक शांत गुफा है यहा महान ऋषि रमण ने शुरुआत दिनों में काभी समय बिताया था। तथा यह गहन चितन स्थल है। जब मंदिर आए तो आप को यहा भी जरूर आना चाहिए।

पचायम्मन मंदिर


पचायम्मन देवी माँ को समर्पित यह स्थल अद्भुत एवं अलौकिक है। मंदिर में शांति का माहौल, मन और आत्मा को त्रप्त कर देता है तथा सकारात्मक एवं नकारात्मक विचारो में विभेद यहा की प्राकृतिक संरचना महसूस कराती है। भारत माता से जुड़िये और देखिए की वो कितनी प्राकृतिक सुंदरता अपने ह्रदय में समेटे हुए हैं।

जिजी किला


समय निकालिए और घूमिए भारत को जिजी किला अहसास करायेगा की हम भारतीय किसी से कम नहीं थे। क्योंकि हमारा इतिहास हमने नहीं लिखा, जिसने लिखा उसने भारत को कमतर बनाके रख दिया। इन अद्भुत कलाकृतियो को मिटाया गया, या पर्वर्तित किया गया। क्योंकि हमे अहसास न हो सके कि हमरे पूर्वज भी कितने महान थे। जो विश्व आज कर रहा है हमारे पूर्वज सदियों पहले कर चुके है। इसलिए इतिहास में महानता उनकी दखाई गई जो डकैत थे।

मदिर कैसे पहुचे


हवाई मार्ग


मंदिर के सबसे नजदीक हवाई अड्डा चेन्नई है। यहां से मदिर की दूरी 180 किलोमीटर है, आप टैक्सी द्वारा भी मदिर पहुच सकते है या तिरुवन्नामलाई के लिए बस पकड़ सकते है।

ट्रेन मार्ग


तिरुवन्नामलाई मे रेलवे स्टेशन है जो दक्षिण भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा है। और मंदिर स्टेशन से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर है।


सड़क मार्ग


तिरुवन्नामलाई बंगलुरु, पुडुचेरी, चेन्नई, विलुप्पुरम और अन्य शहरों से अच्छी तरह जुड़ा है। प्रमुख राजमार्ग सहित आठ सड़कों के नेटवर्क के साथ आप कार या बस से मंदिर पहुच सकते है।

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